कोरोना काल में डूबती जिंदगी।।

नमस्कार दोस्तो, भारत मे मार्च में जब से कोरोना केस बढ़ने चालू हुए बस उसकी रोकथाम की जगह सभी इस बात को जानने के इच्छुक ज्यादा थे कि किसकी वजह से फैल रहा है। कभी जमाती तो कभी श्रमिक तो कभी पियक्कड़ों की भारी संख्या।। लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद हम कितने गम्भीर हुए ,हमने तो जैसे सोच लिया कि लॉकडाउन नही खुला है बल्कि कोरोना खत्म हो गया है और वैसी ही जिंदगी चालू कर दी जैसे मार्च से पहले की थी, हर जगह जाम जमावड़ा पार्टी नेतागिरी धक्कामुक्की। अंत मे क्या मिला 1 लाख से अधिक मौतें। जिनके घर के लोग इस कोरोना के काल के गाल में समा गए और वो उनकी अंत्येष्टि भी नही कर पाए उनकी पीड़ा का कोई अंदाजा नही लगा सकता। मेरे जानने में एक मित्र ही कहेंगे अभी कुछ दिन पहले ही खत्म हुआ, वजह दिल का दौरा।। अभी 26 वर्ष की उम्र कितनी पीड़ा सही होगी और कितनी दिमागी उथल पुथल होगी। मैं स्वयं बहुत दुखी हूँ और ये सोचता हूँ कि अच्छे लोगो के बिना कैसे जीवन होगा आगे का। बेहतर है वो जो इस समय को मात देकर आगे आ रहे है, शून्य से शुरुवात है जीवन की, पूरे प्रयास करने होंगे तभी हम वापस उसे पा सकेंगे जो हमारे लिए है। धन्यवाद

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