भारतीय राजनीतिक परिवार
ऐसा क्यों है कि भारत जैसे देश मे 60 वर्षो तक किसी न किसी रूप में कांग्रेस की ही सरकार रही, वजह साफ थी भारत अंग्रेजो का गुलाम देश था, और कई शताब्दियों तक गुलाम रहना मानसिकता में आ गया था, जिसकी वजह से जनता अंग्रजों की गुलामी मानसिकता से हटकर कांग्रेस पार्टी के एक परिवार की गुलाम बनकर रह गयी।
किन्तु परिवर्तन संसार का नियम है,और जो कल था न वो आज है न कल होगा। और इसी क्रम में भारत की युवा पीढ़ी ने इसे बखूबी समझा भी और अपने परिवारों को समझाने में कामयाब हुए जिसके परिणाम स्वरूप, भारत मे कांग्रेस का पतन निरन्तर जारी है।
जब किसी के यहां कोई बच्चा बड़ा होता है तो परिवार उसे उसकी प्रतिभा के अनुसार उसको मार्ग चुनने के लिए प्रेरित करते है, जरूरी नही कि पहलवान का बेटा पहलवान, क्रिकेटर का बेटा क्रिकेटर, इंजीनियर का बेटा इंजीनियर ,डॉक्टर का बेटा डॉक्टर हो लेकिन अगर बाप नेता है तो बेटा या बेटी भी नेता ही बनेगा ये भारत की विफलता का सबसे उत्तम उदाहरण है।
जिसको गलत साबित करते हुए 20 वर्षो से मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बनने तक का सफर नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने पूरा किया और दोबारा आकर ये बता दिया कि राजनीति कोई परिवारिक विरासत में मिलने वाली चीज नही होती।।
जबकि इसके उलट एक परिवार पिछले 20 वर्षों से एक व्यक्ति को राजनीति में स्थापित करने में लगा है और लड़का अपनी जिह्वा के अनियंत्रित वक्तव्यों से किसी को भी समझा पाने में असमर्थ है कि वह राजनीति में क्यो है।
भारत की परिवर्तनशील जनता समझ चुकी है कि इनके खाने के दांत और दिखने वाले दांत में बहुत अंतर है।
इनके पदचिन्हों पर चलने वाले भारत मे राजनीतिक दलों की भरमार है।
और सबका एक ही ध्येय है कि कैसे स्वयं का नाम हो और अपनी संपत्ति में इजाफा हो, चाहे गरीब का तेल निकल जाए, गरीब से ध्यान आया, 1947 से 2014 तक इन सरकारों ने गरीबी हटाओ के नारे के साथ ही सत्ता पर कब्जा किया है ,गरीबी तो नही हटी हाँ गरीब को जरूर जिन्हीने हर उस जगह से हटा दिया जहां से वो दो रोटी का जुगाड़ कर सकता था।
जागरूक जनता अब इनके हथकंडों को समझ चुकी है, कांग्रेस शाषित राज्यों में अपराध होने पर इन्हें नही दिखता लेकिन अन्य किसी राज्य में अपराध हो ये बवाल बनाते है।
इन चालबाजियों का जवाब जनता वोटों से 2014 2017 2019में लगातार दे रही है लेकिन ये वो कबूतर है जो आंख बंद करके अंधेरा हो जाने से बिल्ली चली गयी सोचकर बैठे है, अब जनता इनसे हिसाब ले रही है और आगे आने वाले चुनावों में भी लेती रहेगी।
धन्यवाद
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें