वर्तमान भारतीय राजनीति
मौजूदा समय मे भारतीय राजनीति में विपक्ष में बैठे सभी दल सिर्फ सत्ता वापसी के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रहे है, सत्ता पक्ष वोटों की चिंता किये बगैर हर उस तरह के बिल ला रही है जो देश के लिए बेहतर है किंतु व्यक्ति विशेषों को उसमे खामियां दिख रही है चूंकि उनकी काली कमाई बंद हो रही है, हाल ही में आया कृषि सुधारक बिल सिर्फ कांग्रेस शाषित राज्य पंजाब में ही विरोध स्वरूप चल रहा है, लेकिन भारतीय राजनीति के स्वर्णिम युग की शुरुवात 2014 से हो चुकी है, आने वाले समय मे भारत की तरक्की में बाधा डालने वाले दो बिल सिविल कॉमन कोड ओर जनसंख्या नियंत्रण पास हो जाये जो कि अब हो भी सकते है तो भारत को आगे बढ़ने से कोई नही रोक पायेगा।।
भारत अब उस दिशा में आगे बढ़ रहा है जिस दिशा में पहले अन्य देश हुआ करते थे, हम बचपन मे मेड इन जर्मनी, मेड इन जापान, मेड इन कोरिया और अब मेड इन चीन सुन रहे है ,जल्द ही आप मेड इन भारत भी सुनेंगे।।
किसी देश को वहां की सरकारें सिर्फ दिशा देती है जबकि चलता वो उद्योगपतियों से है। उन्ही के टैक्स से प्राप्त हुई रकम सरकार खर्च करती है। अगर वो आगे बढ़े तो ही तो देश आगे बढ़ेगा, वरना ऐसा न होता तो गूगल माइक्रोसॉफ्ट और फेसबुक जैसी संस्थाओं पर अमेरिकी सरकार का नियंत्रण होता, जबकि वहां की सरकारों ने उन्हें पूरा समर्थन दिया तब वो आज दुनिया मे स्थापित है, किन्तु जब बात भारत के उद्योगपतियों पर आती है तो विपक्ष जानता है अगर वो सत्ता में होगा तो वो भी उनका सहयोग करेगा लेकिन सत्ता पक्ष का सहयोग अगर करे तो विपक्ष कैसा?
मेरा मानना है कि भारत को अभी 10 वर्षो तक ऐसी ही सरकार की आवश्यकता है जो हंटर लेकर एक तरफ से सुधार जारी रखे, नाकि वोटों के डर से फैसले लेने में आनाकानी करे, उदाहरण वोटों की चिंता ने ट्रिपल तलाक बिल पर 1986 में अध्यादेश लाने पर मजबूर किया, और वोट की ताकत ने उसे बहाल करने में सफलता पाई।।
इसलिए जो हो रहा है सही हो रहा है जो होगा वो भी सही होगा, बच्चा अगर गलत करता है तो शिक्षक मुर्गा बना देते है अगर मुर्गा नही बनना है तो वोट जरूर करे और सही प्रत्याशी का चयन करें नाकि सिर्फ विरोध वश गलत का चुनाव।।
धन्यवाद।।
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